Wednesday 13 January 2016

पुस्तक मेला/वीणा भाटिया




साहित्यिक मित्रों से
मिलने का समय आया
पुस्तक मेला है आया
पुस्तक मेला लो फिर आया।

किताबों को छूने भर से
सुकून का मिलना
किसी महंगे इत्र से महंगी
पुस्तक की महक से महकना
दूर-दूर से पसंदीदा पुस्तकों को लाया
पुस्तक मेला है आया
पुस्तक मेला लो फिर आया।

आभारी हूं प्रकाशक की
नतमस्तक मैं लेखक की
जिन्होंने मेरा शब्दों के संग
रिश्ता है बनाया
पुस्तक मेला है आया
पुस्तक मेला लो फिर आया।

छपे हुए शब्दों में गर्माहट है होती
छपे हुए शब्दों की अहमियत कभी न घटती
कागज-शब्द का गहरा रिश्ता
अधूरे हैं एक-दूजे बिन
पढ़ते हैं हम रात और दिन।

सच है टीवी पहुंचा घर-घर
पुस्तकें भी गईं जिंदगी से जुड़
पुस्तकों ने संसार दिखाया
पुस्तक मेला है आया
पुस्तक मेला लो फिर आया।